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रहस्यमाई चश्मा भाग - 47




मंगलम चौधरी के पिता मंगलम के दो दिनों से घर के बाहर रहने औऱ ना लौटने पर बेहद चिंतित थे जबकि मंगलम ने शाम तक ही लौटने की बात कही थी उन्होंने अपने आदमियों को यशोवर्धन के घर भेजने का निर्णय लिया और अपने विश्वस्त आदमी ओंकार सिंह एव रसूल मोहम्मद को मंगलम का पता लगाने यशोवर्धन के घर के लिए भेज दिया मंगलम चौधरी ने यशोवर्धन के घर कि खुशियाँ लौट आने के बाद जाने की अनुमति यशोवर्धन एव सुलोचना से मांगी दोनों ने कहा बेटे हमसे पहले तुम्हे शुभा से अनुमति लेनी चाहिए तुम्हारे कारण ही वह ना जाने किस मुसीबत से बाहर निकल मुस्कुरा रही है!!

 और हमारे घर आंगन कि खुशियाँ लौट आयी है मंगलम शुभा के पास गए और उन्होंने लौटने कि अनुमति चाही शुभा बोली आप कभी भी हमारे मन मंदिर से नही लौट सकते है मेरे मन मंदिर के देवता है हां आपके माता पिता चिंतित होंगे अतः मैं रोकूंगी नही शुभा कि नेत्रों एव स्वर में आकर्षण के वियोग कि संवेदना थी और आंसू मंगलम भी स्वंय को नही रोक सके और सजल नेत्रों से बोले शुभा शुभ मंगल कि ही प्रतिबिंब है उंसे मैं कैसे विसरा सकता हूँ यह वियोग संयोग का ही एक पक्ष है ,,,

जो हम दोनों के वैवाहिक संबंध से ही पूरा होगा मैं अपने माता पिता से इस विषय मे बात करके चाहे अपने मिट्टी लौट जाय दरभंगा लौट जाय मेरा परिवार तब भी तुम ही मेरी अर्धांगिनी अवश्य बनोगी शुभा ने अपने आंसू पोछे और मुस्कुराती मंगलम को विदा किया मंगलम शुभा से मिलने के बाद यशोवर्धन सुलोचना से अनुमति लेकर निकल पड़ा यशोवर्धन और सुलोचना दोनों और पूरा परिवार मंगलम के खूबियों कि बात कर फुला नही समाता। मंगलम के जाने के बाद रसूल और ओंकार् यशोवर्धन कि हवेली पहुंचे जब उन्हें पता लगा कि छोटे मॉलिक जा चुके है तो कुछ देर यशोवर्धन के आतिथ्य के बाद दोनों भी लौट गए यशोवर्धन ने घर लौटकर अपने पिता को पूरी बात बताई तो पिता ने कहा कोई बात नही विवाह तो शुभा और तुम्हारा होना ही है,,,,

जब भी यशोवर्धन जी कि तरफ़ से पहल होगी तुरंत ही विवाह संपन्न हो जाएगा ।अतीत के ख्यालों में खोए मंगलम को ध्यान आया कि प्रोफेसर टीपनिस ने सुयश के लंदन से लौटने कि बात भी लिखी है ।मंगलम चौधरी ने अपने सभी मुलाजीमो को बुलाकर कहा कि सुयश आठ दस वर्षों बाद लौट रहा है उसके आने पर हवेली में उत्सव जैसा माहौल ही नही भव्य उत्सव होगा अतः तैयारी शुरू कर दी जाए और सारे आदेश दे दिए और एक एक दिन कर सुयश के लौटने का इंतज़ार करने लगे नत्थू के विछाये जाल में उसके आदमियों ने अपना कार्य शुरू कर दिया था मंगलम चौधरी के व्यवसायिक साम्राज्य की नींव को खोखला करने के हर सम्भव प्रयास करते रहते परिणाम यह हुआ कि जिज़ मंगलम चौधरीं के संम्मान में उनके सभी मिलो के मजदूर कर्मचारी जान छिड़कते उनमें संदेह संसय ने धीरे धीरे पैठ बनाना शुरू कर दिया,,,,,

नत्थू के विछाये जाल ने मिल कर्मचारियों मजदूरों में यह बात अच्छी तरह बैठा दिया कि मंगलम का सम्पूर्ण साम्राज्य उनकी ही मेहनत का नतीजा है और उन्हें क्या मिलता है कुछ टुकड़े भारत अब स्वतंत्र हो चुका है सामाजिक समानता ही देश के विकास का नजरिया है तो फिर गुलामी कि सामंती परंपरा का पोषण क्यो ? नत्थू वास्तव में अपने सभी कुकर्मों अपराधों को सामाजिक न्याय एव समानता का ही पालन बताता परिणाम यह हुआ कि मंगलम चौधरी कि मिलो में मजदूरों कर्मचारियों में बगावत विद्रोह कि हलचल होने लगी मंगलम चौधरी को लगा कि मजदूर और कर्मचारी भी उन्ही के परिवार है,,,

 अतः उन्होंने उनकी मांगों को स्वीकार करना उचित समझा लेकिन एक माँग मानते दूसरी खड़ी हो जाती तब उनको समझ मे आ गया कि हो न हो मामला कुछ और है और उन्होंने सिंद्धान्त को जिम्मेदारी सौंपी एव सिंद्धान्त के साथ अपने कुछ और विश्वस्त लोंगो को लगा कर मिलो में हो रहे विरोध विद्रोह को शांत करने का जिम्मा सौंपा,,,,


सिंद्धान्त अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा एव ईमानदारी से निभाने का प्राण पन से कोशिश कर रहा था लेकिन सफलता उससे दूर भागती जा रही थी जो मजदूर कर्मचारी सम्मान में नतमस्तक रहते कुछ बोलने कि आवश्यकता नही समझते वही चुनौती दे रहे थे क्योकि मजदूरो के बीच नत्थू के अराजक असामाजिक तत्व ऐसा करने नही देते जब मामला शांति को तरफ़ आगे बढ़ता कोई न कोई अड़ंगा लगा ही देते सिंद्धान्त ने समस्या की गहराई एव सच्चाई के लिए बहुत प्रायास किया तब उसे पता चला कि नत्थू ही सारी समस्या की जड़ एव समाधान है।

सिंद्धान्त ने नत्थू के बिछये जाल में अनजाने में उलझता जा रहा था उंसे लगा यदि समस्या कि जड़ मिल के किसी कर्मचारी मजदूर से सम्बंधित ही नही है तो वह मिलों में अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप क्यो कर रहा है क्या कारण हो सकता है ?सिंद्धान्त के मन मे अनेक प्रश्न उठ रहे थे जिनके उत्तर में मिलो में पैदा हो रही समस्याओं का समाधान छिपा था वह सोचने लगा कि हो न हो नत्थू और सिंद्धान्त के बीच कोई न कोई आपसी द्वेष का रिश्ता है नहीं तो जिसका मिल मजदूरों से दूर दूर तक कोई लेना देना नही वह क्यो मिल में हस्तक्षेप करेगा सामाजिक समानता कि लड़ाई के कारण वह कम से कम मिल तो बन्द नही कराएगा क्योकि हज़ारों जरूरतमंदों के घर पर चूल्हा जलता है चौधरी साहब कि मिलो के कारण तो कौन सी बात ऐसी हो सकती है कि नत्थु मिलो के माध्यम से चौधरी साहब को निशाना बना रहा है नत्थु ने मंगलम चैधरी के चारो तरफ जिस षड्यंत्र के जाल को बिछाया था उसके सम्पूर्ण मिशन का नाम दिया था समानता संघर्ष और जिसकी मुख्य जिम्मेदारी उसने कर्दब को दे रखी थी,,,,,

समानता संघर्ष कि मुख्य बात यह थी कि सामने मिलो के मजदूर ही दिखते और षड्यंत्र के सूत्रधार कि परछाई तक नही दिखती सिंद्धान्त ने बड़ी चतुराई एव मुश्किलों से मिलो में हो रही शरारत खुराफात कि जड़ तक पंहुचा सका था उसने कर्दब से मिलने के लिए बुलाया और बात शुरू किया जिसमें कोई मिल मजदूर सम्मीलित नही था ।सिंद्धान्त ने कर्दब से प्रश्न मिल मजदूरों के लिए संघर्ष में उसकी भूमिका का कारण जानना चाहा कर्दब बोला सिंद्धान्त बाबू पहले मिल मजदूरों के हक की बात हो जाए फिर हमारी बात तो होती ही रहेगी सिंद्धान्त ने कहा ठीक है तो आप मिल मजदूरों की मांगें ही बताये कर्दब ने सबसे पहले चीनी मिलों के मजदूरों कि बात करनी शुरू कर दी और पहली मांग रखी कि मिल के लाफ़ सीजन में जो मजदूर सीजनल है उन्हें पगार कुल पगार कि अस्सी प्रतिशत दी जाय मजदूरों को मिल में हिस्सेदार बनाया जाय आदि सिंद्धान्त लंदन से पढ़ा लिखा





जारी है




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